
कमरा हल्की पीली रोशनी में डूबा हुआ था। बाहर बारिश की बूँदें काँच की खिड़की पर गिर रही थीं, और हर आवाज़ उस सन्नाटे में और गहरी लग रही थी।
निध्यना सर्वज्ञ के कंधे पर सिर रखे बैठी थी। उसकी साँसें धीमी थीं, पर दिल में सवालों का तूफान चल रहा था।

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