
नविष्का का जिस्म अब भी काँप रहा था। उसकी साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं जैसे अभी-अभी कोई लंबी दौड़ भाग पूरी की हो। रैवान सोफ़े पर बैठा था, हाथ में आधा बुझा सिगार और आँखों में वही शिकारी-सा तेज़। उसकी नज़र बार-बार नविष्का के शरीर पर टिक रही थी—भीगी जांघें, कांपती छातियाँ और vibrator की वजह से हल्के-हल्के हिलती उसकी सॉफ्टनेस।
रैवान की गहरी आवाज़ आई— “Now… come here, on your knees.”

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