
शाम ढल चुकी थी। शहर की सड़कों पर नीयॉन लाइट्स जल उठी थीं और हवा में एक अजीब-सी खामोशी थी। रैवान राजवर्धन अपनी काली पर्सनल कार से उतरा। चारों तरफ उसका aura वैसे ही फैल रहा था जैसे अंधेरे में आग की लौ।
गेट पर खड़े guards ने तुरंत दरवाज़ा खोला। सबकी नज़रें एक पल को झुक गईं। “Sir आ गए हैं।”

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